नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता click here है।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
This Mantra retains excellent importance With regards to attaining a blissful psychological point out and spiritual development.
Swamiji claims, “A powerful motivation is something that helps make us rise up also to the fullest capacity assert ourselves for the furtherance with the intention. The important thing is usually to focus on the mantras.”
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
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